Friday, January 2, 2015

इस साल आपकी जेब में होंगे प्लास्टिक के नोट, इन पांच शहरों में मिलेगी सुविधा .


इस साल आपकी जेब में होंगे प्लास्टिक के नोट, इन पांच शहरों में मिलेगी सुविधा

 

 
इस साल आपकी जेब में होंगे प्लास्टिक के नोट, इन पांच शहरों में मिलेगी सुविधा
 
नोट और सिक्कों की जानकारी से जुड़ी अपनी सीरीज में हमने पहले दिन आपको भारतीय सिक्कों की पहचान से जुड़ी जानकारी दी थी। आज इस सीरीज के तहत हम आपको प्लास्टिक नोट की शुरुआत की जानकारी दे रहे हैं।
 
नई दिल्ली. कागज के नोटों के जल्दी खराब होने की समस्या को दूर करने के लिए आरबीआई ने प्लास्टिक के नोट जारी करने जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इस साल से प्लास्टिक के नोटों का प्रचलन शुरू करने जा रहा है। केंद्रीय बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में उम्मीद जताई है कि इस साल प्लास्टिक के नोटों की पायलट टेस्टिंग शुरू कर दी जाएगी। शुरू में कोच्चि, मैसूर, जयपुर, भुवनेश्वर और शिमला में प्लास्टिक के नोट जारी किए जाएंगे। इन शहरों में 10 रुपए के एक अरब नोट जारी किए जाएंगे। पायलट टेस्टिंग के नतीजों के आधार पर बाद में इन्हें लॉन्च किया जाएगा। 
 

क्यों जरूरी हैं प्लास्टिक नोट

 
वैसे अभी तक प्लास्टिक नोट को लेकर बहुत बेहतर नतीजे नहीं आए हैं। चुनिंदा मुल्कों ने ही इसे औपचारिक तौर पर अपनाया गया है। लेकिन, इसके फायदे और नुकसान दोनों ही हैं। 
 
फायदाः अधिक टिकाऊ। आसानी से नहीं होते गंदे। जाली नोटों पर अंकुश लगाने में मिलेगी मदद। कटे-फटे नोटों से छुटकारा।
 
नुकसानः प्लास्टिक नोट को मोड़ने में परेशानी होती है। फिसलदार होने से गिनती में दिक्कतें। अभी तक कुछ देशों में इसे नष्ट करने का सही तरीका नहीं अपनाया है। इस वजह से प्लास्टिक नोटों को बाद में जला दिया जाता है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। कम संख्या में इस नोट को छापने पर लागत अधिक आती है।
 

क्यों चुने गए पांच शहर

 
फरवरी 2014 में सरकार ने संसद को सूचित किया था कि वह 10 रुपए मूल्य के एक अरब प्लास्टिक नोट प्रायोगिक तौर पर देश के पांच शहरों में चलाएगा। इन शहरों का चयन भौगोलिक और जलवायु के आधार पर किया गया है।
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इसलिए बेहतर है प्‍लास्टिक नोट

 
प्‍लास्टिक के नोटों में धब्‍बे नहीं लगते हैं और इनकी उम्र अधिक होती है। कई देशों में पॉलीमर के करेंसी नोट चल रहे हैं। हालांकि, इनके आने के बाद भी कागज के नोटों को बंद नहीं किया जाएगा। वैसे कागज की मुद्रा की औसत उम्र एक साल होती है, वहीं प्लास्टिक नोट का औसत जीवन पांच साल होगा। आरबीआई को इसे छापने के लिए कागज की मुद्रा के मुकाबले कम राशि खर्च करनी पड़ेगी। मौजूदा समय में देश में औसतन 11 लाख करोड़ रुपए के नोट प्रचलन में हैं। ऐसे में दस रुपए के एक अरब प्लास्टिक के नोट समुद्र में एक बूंद की तरह साबित होंगे। यह नोट पर्यावरण के अनुकूल होंगे।

 
 
ऑस्ट्रेलिया से हुई प्लास्टिक नोट की शुरुआत
 
1980 के दशक में सबसे पहले हैती और कोस्टारिका में प्लास्टिक नोट प्रचलन में आए। हालांकि तकनीकी कारणों की वजह से इसे बाद में बंद कर दिया गया। वैसे ऑस्ट्रेलिया पहला मुल्क था जहां सही तरीके से प्लास्टिक नोट प्रचलन में आया। फिलहाल ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रुनेई, पापुआ न्यू गिनी, वियतनाम और रोमानिया में प्लास्टिक के नोट उपयोग किए जा रहे हैं। थाईलैंड ने प्लास्टिक नोटों का प्रचलन शुरू किया था लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया।
 

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